उम्र छोटी,कद बड़ा – पिता का नाम किया रोशन

Himachal Pradesh Industries Industry Local Business SIRMOUR (सिरमौर) पॉवटा साहिब

सिरमौर न्यूज़ / पांवटा साहिब

यदि आप पांवटा साहिब के बद्रीपुर से जामनिवाला रोड़ की तरफ चलते जाओगे तो आपको “रघुवीर सिंह एंड संस ” का नाम एक बिजनस स्थल के बाहर चमकता हुआ दिखेगा। इस बिजनस स्थल पर आपकी नज़र इस नाम के ऊपर जरूर पड़ेगी। लेकिन आपको शायद ही मालूम होगा की इस नाम को एक छोटे बेटे ने चमकाया है जो लगभग 16 साल की उम्र में अपने पिता के साथ कपड़ो की दूकान को सँभालने में जुट गया था। नाम है परजीत सिंह हंस। परजीत जीत का प्रतीक है और जीत ही परजीत नाम का अर्थ है, जो जीत और सफलता का प्रतीक है। यह एक ऐसा अनुभव है जो जीवन में लक्ष्य प्राप्त करने और चुनौतियों का सामना करने के बाद आता है और जिससे खुशी और गर्व मिलता है। अपने नाम को सार्थक करते हुए परजीत सिंह हंस ने पिता के देहांत के बाद भी उनके द्वारा स्थापित कारोबार को आगे बढ़ाया। पहली मंजिल के ऊपर अपनी मेहनत की कमाई से दूसरी मंजिल बना डाली और उसके आगे उस पिता के नाम को उकेरा जिन्होंने अपने बच्चो के लिए करोडो की सम्पति छोड़कर दुनिया को अलविदा कहा था। अपने बड़े भाई को पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए दिल्ली भिजवाने में परजीत सिंह हंस का बड़ा योगदान रहा , खुद दुकान पर मेहनत करता रहा ताकि बड़े भाई को किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े। इतना ही नहीं परजीत सिंह अपने बड़े भाई की हर जरुरत का ख्याल रखता और साथ ही ईमानदारी के साथ दुकान का हिसाब किताब भी रखता रहा। अपने पिता का लाडला बेटा बनकर हर फर्ज निभाता रहा। माता नरेंद्र कौर की कोख से जन्मे परजीत सिंह हंस ने , हमेशा दुसरो का भला करना सीखा। यदि कोई बदमाशी से पेश आया तो उसे उसकी भाषा में जबाब देने का साहस भी रखा।
कर्तव्य ,निष्ठा और ईमानदारी ने परजीत सिंह हंस की जोड़ी बना दी और प्रीति कौर के रूप में उन्हें जीवन संगिनी का साथ मिला। दोनों की जोड़ी और अच्छी सोंच ने परिवार के बिजनस को आगे बढ़ाया। समय के साथ साथ परमात्मा और बुजुर्गों के आशीर्वाद ने दोनों को बेटा और बेटी देकर कृतार्थ किया। बड़ा बेटा हरप्रीत सिंह और छोटी बेटी अमृत कौर जो पैदा होते ही करोड़ो की सम्पति के मालिक है। परजीत सिंह हंस ने करोड़ो की संपत्ति का मालिक होने के बावजूद कभी भी बड्डपन नहीं दिखाया, अपने से बड़ो को हमेशा झुककर आदर सत्कार दिया। इतना ही नहीं नारी सम्मान और अपनी पत्नी के प्रति अथाह प्रेम जाहिर करते हुए अपनी पत्नी प्रीति कौर का नाम जोड़कर “प्रीत हैंडलूम ” का नाम भी बड़े बड़े अक्षरों में उकेरा है। इस जोड़ी ने साबित कर दिया है ,जीवन की वास्तविकता यही है कि यदि हर व्यक्ति अपने-अपने कर्म को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करता है, तो वह किसी भी पूजा से बढ़कर है। इसी निष्ठा के साथ कम उम्र में ही परजीत सिंह हंस ने अपने पिता द्वारा स्थापित कारोबार जो आगे बढ़ाया और पुत्र धर्म निभाते हुए अपने पिता का नाम रोशन किया।
कुल मिलाकर आप कह सकते है की महज 36 वर्ष की आयु में एक आदर्श पुत्र , एक प्यारे पति और जिम्मेदार पिता के रूप में परजीत सिंह हंस युवाओं के लिए प्रेरणा है। संघर्ष और जालसाजी का शिकार होने के बावजूद भी अपने नाम परजीत जिसका अर्थ है, जीत और सफलता का प्रतीक उसे चरितार्थ किया है। भले ही परजीत परिवार में उम्र के लिहाज़ से छोटा है लेकिन उसकी मेहनत , ईमानदारी और समर्पण ने उसका कद बड़ा किया है।